बारिश दिन ढले कीहरियाली-भीगी, बेबस, गुमसुमतुम हो और,और वही बलखाई मुद्राकोमल शंखवाले गले कीवही झुकी-मुँदी पलक सीपी में खाता हुआ पछाड़बेज़बान समन्दर अन्दरएक टूटा जलयानथकी लहरों से पूछता है पतादूर- पीछे छूटे प्रवालद्वीप का बांधूंगा नहींसिर्फ़ काँपती उंगलियों से छू…